महाप्रलय
जाउ मैं जब दर्शन करने..
पहले ही विदा करना..
क्या पता ना लौटू कभी...
देकर अपना प्यार विदा करना..
सुना हैं जब शिव खोलते हैं अपना
तीसरा नेत्र .....................कोई नही बच पाता हैं..
बिना बुलाए ही महाप्रलय चला आता हैं..
नही मिलती किसी की भी देह ढूँढे से...
बह कर सब कुछ शिव मे ही समा जाता हैं..
इतनी लाशो मे मेरी लाश पहचान भी कहाँ पाओगे..
मेरा क्रिया कर्म भी तुम नही कर पाओगे...
सो मत सोचो...कुछ भी बुरा किसी के लिए भी..
पता नही किस वेश मे तुम मुझे वापिस पाओगे..
..
.
2 Comments:
:( :(
thanks
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