मीलों दूर हो तुम .मुझसे .
पीछे से टिकाया जो मैने
तुम्हारी पीठ पे अपना सर...
सुकून सा मुझे आया ..
तुम्हे भी लगा अपनापन..
महसूस कर सकते थे
अब तुम मेरे दिल की हर बात..
जो नही कही थी तुमसे मैने अब तक..
सहला कर मेरे बालों को...
tumne भी दे दी थी मुझे हामी..
जैसे समझ गये हो तुम मेरा अनकहा..झट से..
शायद....यही अनकहा....
आज हमे काम आ रहा हैं
मीलों दूर हो तुम .मुझसे .
फिर भी तुम्हारा एहसास मुझे महका रहा हैं..
तुम्हारी पीठ पे अपना सर...
सुकून सा मुझे आया ..
तुम्हे भी लगा अपनापन..
महसूस कर सकते थे
अब तुम मेरे दिल की हर बात..
जो नही कही थी तुमसे मैने अब तक..
सहला कर मेरे बालों को...
tumne भी दे दी थी मुझे हामी..
जैसे समझ गये हो तुम मेरा अनकहा..झट से..
शायद....यही अनकहा....
आज हमे काम आ रहा हैं
मीलों दूर हो तुम .मुझसे .
फिर भी तुम्हारा एहसास मुझे महका रहा हैं..
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