कोहरे की चादर...
आज आसमान ने ओढ़ ली हैं
कोहरे की चादर...
नही सूझता..कुछ भी यहाँ पर....
शायद.. ठंड ने अपने पाव..पसारे हैं...
तभी तो हम भी रज़ाई के मारे हैं....
तुम मत निकलना घर से आज.............
बुजुर्ग ने दी हमे सख़्त हिदायत हैं..
लेकिन क्या करे दिल
नही लगता तुम्हारे बिना..
जल्दी से खोलो दरवाजा..
हम आ रहे हैं...तुम्हारे यहाँ..
कोहरे की चादर...
नही सूझता..कुछ भी यहाँ पर....
शायद.. ठंड ने अपने पाव..पसारे हैं...
तभी तो हम भी रज़ाई के मारे हैं....
तुम मत निकलना घर से आज.............
बुजुर्ग ने दी हमे सख़्त हिदायत हैं..
लेकिन क्या करे दिल
नही लगता तुम्हारे बिना..
जल्दी से खोलो दरवाजा..
हम आ रहे हैं...तुम्हारे यहाँ..
4 Comments:
अति सुन्दर ..
बहुत खूब...
apka bahut bahut shukriya Dilbaag ji...
bahut bahut Abhaar...Dost...
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