तुम्हारा खत मिला...
तुम्हारा खत मिला...
मीठा सा जवाब था उसमे..
शायद
बरसो से सूखी धरती पे
पानी की कुछ नरम बूंदे
डाल दी थी तुमने
दिल खुशियो से कुछ
हरा सा हो गया था..
ज़ज्बात फूलों की तरह
दूर दूर तक
महकने से लगे थे..
ये तुम्हारा जादू था..
या
दिल का तरसा हुआ कोना
एक बार फिर...
जीवट हो चुका था
पता नही.
बस खुशी बाटने का
दिल था सबसे
लेकिन जानती थी..
ये खुशी बाँटने वाली नही..
खुद के भीतर
अंदर ही अंदर
दिल की तहों मे
जज़्ब करने वाली हैं..
बाँट दी तो ये खुशी...
बहुत दूर
चली जाएगी मुझसे
शब्द के तार पे
नाचने लगी थी मैं
तुम्हारी हर बात
बाँसुरी की तान की तरह
मधुर जो लगने लगी थी
हर वक़्त तुम्हारा इंतेज़ार..
जबकि मालूम था
तुम नही आ सकते हो..
इतनी दूर दे..
फिर भी ना जाने क्यूँ????
सूनी आँखो मे तुम्हारा प्यार
चमक रहा था........
जिला जो दिया था तुमने..
उस मुर्दा दिल को..
जो बरसो पहले ही..
मर चुका था.....
मीठा सा जवाब था उसमे..
शायद
बरसो से सूखी धरती पे
पानी की कुछ नरम बूंदे
डाल दी थी तुमने
दिल खुशियो से कुछ
हरा सा हो गया था..
ज़ज्बात फूलों की तरह
दूर दूर तक
महकने से लगे थे..
ये तुम्हारा जादू था..
या
दिल का तरसा हुआ कोना
एक बार फिर...
जीवट हो चुका था
पता नही.
बस खुशी बाटने का
दिल था सबसे
लेकिन जानती थी..
ये खुशी बाँटने वाली नही..
खुद के भीतर
अंदर ही अंदर
दिल की तहों मे
जज़्ब करने वाली हैं..
बाँट दी तो ये खुशी...
बहुत दूर
चली जाएगी मुझसे
शब्द के तार पे
नाचने लगी थी मैं
तुम्हारी हर बात
बाँसुरी की तान की तरह
मधुर जो लगने लगी थी
हर वक़्त तुम्हारा इंतेज़ार..
जबकि मालूम था
तुम नही आ सकते हो..
इतनी दूर दे..
फिर भी ना जाने क्यूँ????
सूनी आँखो मे तुम्हारा प्यार
चमक रहा था........
जिला जो दिया था तुमने..
उस मुर्दा दिल को..
जो बरसो पहले ही..
मर चुका था.....
2 Comments:
सुन्दर रचना...
thanks Vaanbhatt ji
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