रूहानी सुहानी
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
3 Comments:
तुझे सोचती हू
जब सूरज की पहली किरण को
जमीन को छूते देखती हू
अपने चेहरे पे डालती हू
वे खुन्क किरण...तेरी उगली का एहसास.लेती हू
तुझे सोचती हू
सजती हू संवरती हूं
आईन् की जगह
तेरी आखे..पाती हू
मुस्कुरा के..शर्मा जाती हू
तुझे सोचती हू
जब उस पेड पे
मन्नत का धागा
बान्धती हू़ं.
तुझे पाने के लिए
जाने क्यू..तुझे पाने मे
तुझ से मिलने मे
वो गर्माहट नही
तू अपनी सी नही लगती
तेरी सोच...
वो तो मेरी है
तुझे सोचती हू
जब सूरज की पहली किरण को
जमीन को छूते देखती हू
अपने चेहरे पे डालती हू
वे खुन्क किरण...तेरी उगली का एहसास.लेती हू
तुझे सोचती हू
सजती हू संवरती हूं
आईन् की जगह
तेरी आखे..पाती हू
मुस्कुरा के..शर्मा जाती हू
तुझे सोचती हू
जब उस पेड पे
मन्नत का धागा
बान्धती हू़ं.
तुझे पाने के लिए
जाने क्यू..तुझे पाने मे
तुझ से मिलने मे
वो गर्माहट नही
तू अपनी सी नही लगती
तेरी सोच...
वो तो मेरी है
thanks Vijaya ji..waah.. rachna pasand karne ke liye sath hi itna khoobsurat reply dene ke liye
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