पापा का जाना
जीत गया काल
हार गए पापा
उन्हें तो पता भी नहीं था
वो ऐसे चले जायेंगे एक दिन
बिना किसी से कुछ कहे
कहते भी कैसे
जब वो
खुद ही नहीं जानते थे
यु अचानक
आएगा कोई
खौफनाक मंजर
सारे सपनो के महल
धराशायी हो जायेंगे
दीवाली का दिन
सुबह से ही
उत्सव का माहौल
कचौरी के लिए भीगी दाल
तरह तरह की सब्जियां
पूरी
सब बनने के लिए आतुर
हां थोडा सा
पापा को बुखार था
दो दिन से
सब खुश थे
लेकिन
अचानक पापा की आँखों के आगे
छा गया अँधेरा
वो अँधेरा
फिर कभी हटा ही नहीं
न पापा की आँखों से
न हमारे जीवन से
पापा जो
छिन गए थे हमसे
एक तो दीवाली की अमावस
दूसरी हमारी अमावस
वो अभी और जीना चाहते थे
बेटी की शादी का सपना
बेटे को
सेटल करने का सपना
सब सपना ही रह गया
दो चार साल
और मिल जाते
काश उन्हें
तृप्त होकर तो जाते
लेकिन
डॉ भी कुछ न कर सके
हम लोग भी
ठगे देखते रहे
हार गए पापा
उन्हें तो पता भी नहीं था
वो ऐसे चले जायेंगे एक दिन
बिना किसी से कुछ कहे
कहते भी कैसे
जब वो
खुद ही नहीं जानते थे
यु अचानक
आएगा कोई
खौफनाक मंजर
सारे सपनो के महल
धराशायी हो जायेंगे
दीवाली का दिन
सुबह से ही
उत्सव का माहौल
कचौरी के लिए भीगी दाल
तरह तरह की सब्जियां
पूरी
सब बनने के लिए आतुर
हां थोडा सा
पापा को बुखार था
दो दिन से
सब खुश थे
लेकिन
अचानक पापा की आँखों के आगे
छा गया अँधेरा
वो अँधेरा
फिर कभी हटा ही नहीं
न पापा की आँखों से
न हमारे जीवन से
पापा जो
छिन गए थे हमसे
एक तो दीवाली की अमावस
दूसरी हमारी अमावस
वो अभी और जीना चाहते थे
बेटी की शादी का सपना
बेटे को
सेटल करने का सपना
सब सपना ही रह गया
दो चार साल
और मिल जाते
काश उन्हें
तृप्त होकर तो जाते
लेकिन
डॉ भी कुछ न कर सके
हम लोग भी
ठगे देखते रहे
1 Comments:
dukhad .... :(
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