Tuesday, March 13, 2018

मजबूर

भीग रहा है वो
टपकती बूंदों के साथ
सोच रहा है......
कब तक ढोना पड़ेगा
जिंदगी का बोझ
परिवार की जिम्मेदारी
माँ, बाबा की बीमारी
बच्चो की महँगी पढ़ाई
समाज से सर मिला कर
चलने की ऊंचाई
मन के साथ साथ
तन भी घटता जा रहा है
शरीर अब साथ देने को
तैयार नही
रो लेने से शायद दिल कुछ हल्का हो जाये
यही सोच कर बरसते पानी मे घर से निकल आया

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