सूरज
सूरज को क्या....
उसकी तो आदत हैं
रूठना
रूठ कर
गाल फूला लेना...
आँखे लाल पीली कर लेना..
लेकिन
मुझे भी मनाना आता हैं....
हटा कर उसका लिहाफ़..
उसे सुबह की
उजली धूप दिखाना
मुझे आज भी बहुत भाता हैं..
उठ जा सूरज ....देख ना... तेरे बिना दिन भी
नही खेलने आया अब तक ..
उसकी तो आदत हैं
रूठना
रूठ कर
गाल फूला लेना...
आँखे लाल पीली कर लेना..
लेकिन
मुझे भी मनाना आता हैं....
हटा कर उसका लिहाफ़..
उसे सुबह की
उजली धूप दिखाना
मुझे आज भी बहुत भाता हैं..
उठ जा सूरज ....देख ना... तेरे बिना दिन भी
नही खेलने आया अब तक ..
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