पुरुष विहीन धरती
क्या करे स्त्री
पुरुष भरोसा छोड़
उसे उड़ना ही होगा
जब नही बची है
धरती पे जगह
उसके लिए
उसे आकाश में
विचरण करना होगा
आकाश में
नया घर
बनाना होगा
जहां पुरुष प्रवेश
पूर्णतः वर्जित होगा
मालकिन भी स्त्रियां
दासी भी स्त्रियां
राजा भी, रानी भी
बाँदी भी स्त्रियां
हर तरफ़ होगा
सिर्फ और सिर्फ
स्त्रीयों का हुजूम
अपनी तरह से
जीने का हक़
अपने कानून बनाने का
हक़
अपने मन की रानी
होगी वो स्त्रियां
शायद
किसी कानून की
आवश्यकता ही न पड़े
कानून तो
स्त्री पुरुष को
सभ्य
बनाने के लिए होते है
असभ्य
प्रायः पुरुष हुआ करते है
स्त्रियां नही!!!!@अपर्णा खरे
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