Friday, December 2, 2011


क्या देखा तुमने वहाँ
जो यहाँ नही देख पाए थे 
बेशक अजीब थी वो जगह
लेकिन अंजान ना थी
तुम आ चुके थे पहले
तुमने महसूस भी किया था 
उस खुश्बू को.............
वो तुम्हारा अपना घर था
जो बरसो पहले तुमसे छूट गया था
और अब तुम उसे समूचा भूल चुके थे
आज तुम्हे याद आया हैं............
चलो सुबह का भूला 
शाम को लौट आया हैं..


वो जो सब वहा था 
पहले भी कही देखा था 
अजीब था वो सब उस अनजान जगह 
जहा मैं आया पहली बार 
मगर लगा यू जैसे मैं वही था वही का हूँ 
और जब से लौटा हूँ अपनी परिचित जगह
जहा सब मेरा अपना था अपरिचित अनजाना सा लगा
बार बार लग लौट जाऊ उसी जगह
जो अनजान है मगर अपनी सी लगती है




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