kirchi kirchi ankh me
किरची किरची
आँख में
समां गया कोई
देता रहा टीसन..
दर्द बढ़ा गया कोई
अपना कहूँ
या
बेगाना
याद दिल में अपनी
जगा गया कोई
भूल जाने को
दिल नहीं करता
पास आने से उसके
है दिल डरता
ये अजीब सा रिश्ता
बना गया कोई
रुकते नहीं कदम
साथ चलते रहे हम
कानो में
फुसफुसा गया कोई
आ जाओ की
मोहबत को अंजाम मिले
दिल की धड़कनो को सुना गया कोई
आँख में
समां गया कोई
देता रहा टीसन..
दर्द बढ़ा गया कोई
अपना कहूँ
या
बेगाना
याद दिल में अपनी
जगा गया कोई
भूल जाने को
दिल नहीं करता
पास आने से उसके
है दिल डरता
ये अजीब सा रिश्ता
बना गया कोई
रुकते नहीं कदम
साथ चलते रहे हम
कानो में
फुसफुसा गया कोई
आ जाओ की
मोहबत को अंजाम मिले
दिल की धड़कनो को सुना गया कोई
2 Comments:
nice one ...:)
thanks Anonymous...
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