पगा हुआ प्रेम
तुम आराम से बैठे
अपना काम कर रहे थे
मैं तुम्हे कनखियो से देखे जा रही थी
कितने प्यारे लग रहे थे तुम
अपने काम मे डूबे
सच समय कितना आगे निकल आया हैं
इतना आगे कि तुम्हारे कनपटी के बॉल उम्र पर
अब अपना रोब जमाने लगे हैं
आँखो पे टिका चश्मा
तुम्हारे परिपक्व होने की कहानी कह रहा हैं ...
जबकि कल की ही बात थी
हम जब मिले थे
वो भी अपना परिचय
एक लड़ाई से हुआ था
तब कितना तंग करते थे तुम मुझे
यहाँ तक कि मैं रो ना दूँ
तुम्हारा यही तंग करना
ना जाने कब दिल मे उतर गया
लगा तुमसे बेहतर साथी तो कोई हो ही नही सकता
बंध गई तुम्हारे साथ अटूट बंधन में
हमेशा के लिए
आज जब हम दोनो उम्र के एक पड़ाव पे आ चुके हैं
तो लगता हैं चाहते और भी बढ़ रही हैं
तुम्हारा दोनों के भविष्य की चिंता करना
फंड के लिए आंकलन करना
कभी घबरा कर यह कहना
हम एक साथ यहीं रहेंगे
बच्चो के पास नहीं जाएँगे
जताता हैं
कितना गहरा प्यार हैं तुम्हारा मुझसे
तुम मुझे ज़रा भी परेशान नही देखना चाहते
अब एहसास होता हैं
क्यूँ ज़रूरी होता हैं उम्र के आख़िरी पड़ाव पे
एक साथ होना
एक दूसरे का संबल
एक दूसरे का सहारा होना
गाड़ी के दो पहिए वो भी संतुलित
शायद यही हैं प्रेम का ठहराव
या
यू कहे पगा हुआ प्रेम
अपना काम कर रहे थे
मैं तुम्हे कनखियो से देखे जा रही थी
कितने प्यारे लग रहे थे तुम
अपने काम मे डूबे
सच समय कितना आगे निकल आया हैं
इतना आगे कि तुम्हारे कनपटी के बॉल उम्र पर
अब अपना रोब जमाने लगे हैं
आँखो पे टिका चश्मा
तुम्हारे परिपक्व होने की कहानी कह रहा हैं ...
जबकि कल की ही बात थी
हम जब मिले थे
वो भी अपना परिचय
एक लड़ाई से हुआ था
तब कितना तंग करते थे तुम मुझे
यहाँ तक कि मैं रो ना दूँ
तुम्हारा यही तंग करना
ना जाने कब दिल मे उतर गया
लगा तुमसे बेहतर साथी तो कोई हो ही नही सकता
बंध गई तुम्हारे साथ अटूट बंधन में
हमेशा के लिए
आज जब हम दोनो उम्र के एक पड़ाव पे आ चुके हैं
तो लगता हैं चाहते और भी बढ़ रही हैं
तुम्हारा दोनों के भविष्य की चिंता करना
फंड के लिए आंकलन करना
कभी घबरा कर यह कहना
हम एक साथ यहीं रहेंगे
बच्चो के पास नहीं जाएँगे
जताता हैं
कितना गहरा प्यार हैं तुम्हारा मुझसे
तुम मुझे ज़रा भी परेशान नही देखना चाहते
अब एहसास होता हैं
क्यूँ ज़रूरी होता हैं उम्र के आख़िरी पड़ाव पे
एक साथ होना
एक दूसरे का संबल
एक दूसरे का सहारा होना
गाड़ी के दो पहिए वो भी संतुलित
शायद यही हैं प्रेम का ठहराव
या
यू कहे पगा हुआ प्रेम
4 Comments:
अब एहसास होता हैं
क्यूँ ज़रूरी होता हैं उम्र के आख़िरी पड़ाव पे
एक साथ होना
एक दूसरे का संबल
एक दूसरे का सहारा होना
गाड़ी के दो पहिए वो भी संतुलित
शायद यही हैं प्रेम का ठहराव
या
यू कहे पगा हुआ प्रेम......bahut bahut sundar rachna
nice
Upasna di.....Thanks ap ka blog pe is tarah ana mujhe romanchit kar gay...
Thanks... Anonymous
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