मरहम
अपनी कलम से
कुछ गम
लिख के हम
दिल को मरहम देते है
लोग है .....
कि हमें
न जाने क्या क्या
समझ लेते है.....
कहूँ क्या किस्सा
गमे दिल का ए दोस्त
अब तो गम के
गुलशन में भी हम
कुछ देर खुश रह लेते है।।।
कुछ गम
लिख के हम
दिल को मरहम देते है
लोग है .....
कि हमें
न जाने क्या क्या
समझ लेते है.....
कहूँ क्या किस्सा
गमे दिल का ए दोस्त
अब तो गम के
गुलशन में भी हम
कुछ देर खुश रह लेते है।।।
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