बेचारी बुआ
चलो अच्छा हुआ
बुआ चल दी राम जी के पास
कब तक सहती हाड़तोड़ काम की मार
फूफा की बेजारी
कहते है एक पन में प्यार बहुत मिलता है
चाहे ससुराल में
चाहे मायके में
लेकिन बुआ तो प्यासी की प्यासी ही रही
कबीरदास के भजन की तरह
पाक पवित्र
ज्यूँ की त्युं धर दीनी चदरिया
धन्य थी बुआ
जो इतने दुख के बाद भी
बिना उफ्फ कहे
चली गई धरती से
बुआ चल दी राम जी के पास
कब तक सहती हाड़तोड़ काम की मार
फूफा की बेजारी
कहते है एक पन में प्यार बहुत मिलता है
चाहे ससुराल में
चाहे मायके में
लेकिन बुआ तो प्यासी की प्यासी ही रही
कबीरदास के भजन की तरह
पाक पवित्र
ज्यूँ की त्युं धर दीनी चदरिया
धन्य थी बुआ
जो इतने दुख के बाद भी
बिना उफ्फ कहे
चली गई धरती से
1 Comments:
:(
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home