Sunday, August 23, 2020

गुस्सा जो बहुत तेज़ है मेरा

 

कितना आसान होता है

यू छोड़कर किसी को 

गुस्से में चले जाना

लगता है जिंदगी का 

सबसे बड़ा सवाल यही था

जो मैंने चुटकियों में 

हल कर लिया

देख लिए बहुत सारे दोष

मढ़ दिए खूब सारे आरोप

निकल दिया 

अपना सारा आक्रोश

सुना दिया उस गलती की भी सज़ा

जो उसने कभी की ही नही

बस चलता तो सरे राह 

सूली पे भी लटका देते

लेकिन इतना करने की 

इजाज़त नही थी समाज से

सो खून का घूंट मार कर 

छोड़ दिया....

अब मेरी क्या जिम्मेदारी 

कोई रोये, कल्पे 

या कूदकर जान देदे

हमने तो वही किया

जो मेरे दिल ने कहा

ये होता है 

गुस्से का परिणाम

लेकिन

ठहरो

तनिक विचार करो

तुम्हे क्या मिला

उम्र भर की सुलगन

जिंदा रहने तक 

एक पछतावा

एक एहसास

मैंने ऐसा क्यों किया

माफ कर दिया होता तो 

शायद 

जिंदगी कुछ और होती

कुछ कहने की

कुछ सुनने की गुंजाइश बनी रहती

एक संभावना

एक साथ 

खिलखिलाया भी जा सकता था...

खिल सकते थे चमन में फूल

कुछ नरमी से

कुछ गर्मी से

लेकिन

नकार दिया सब बातों को

क्योंकि

लोग कहते है

गुस्सा जो बहुत तेज़ है मेरा......😢

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home