रोशनी और मनुष्य
सूर्य डूब रहा है स्वय को
गहन तिमिर मे
छिपाने के लिए
जीवन भी रेल की
पटरियो पर भाग रहा है
चिर अनंत मे
मिल जाने के लिए
क्या
जीवन और सूर्य की
एक ही नियति है?
उसे डूब कर फिर से
उदय होना है
दुनिया को अपनी
चमकीली रोशनी से भर देना है
ताकि दुनिया के
कामो को
गति मिल सके
हम जहा खड़े है
उससे बहुत बहुत आगे बढ़ सके
इसी प्रकार
जीवन को भी
चिर अनंत के बाद
दोबारा जनम लेना है
एक नई दुनिया
फिर से बसानी है
ताकि सूर्य ने
जो रोशनी फैलाई है
उस रोशनी की
सार्थकता को सिध कर सके
स्वय को सिध कर सके
रोशनी और मनुष्य
एक दूसरे से मिलकर
एककार हो सके..
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