उदासी का मंज़र चहु ओर हैं
कैसा ये आलम, कैसा शोर हैं..
आँखो से जाती रही हैं चमक..
खो गया उससे उसका कोई ..लम्हा..
जहर ही जहर हैं चारो तरफ..
अब हमे दिखा गम का कोई ओर ना छोर हैं
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
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