Saturday, July 16, 2011

आज़ादी से मिलने दो...





क़ैद हूँ किसी 
चिड़िया की तरह
पिंजरा हैं सोने का
और दाने हैं...खूबसूरत
मालिक भी अमीर हैं
लेकिन ये क्या?
मेरी आँख मे तो आँसू हैं
ये आँसू कहाँ से आए?
कौन सा दुख हैं मुझे
अच्छा खाना मिलता हैं..
पीने को पानी मिलता हैं
राजा, दरबारी 
सब प्यार करते हैं
मेरी एक ची ची पे 
सब हिल उठते हैं..
फिर ये उदासी क्यूँ? 
निराशा क्यूँ..
पंख हैं, प्यार हैं, सुख हैं, 
सारा सुविधा का सामान हैं
किंतु खुला आसमान नही हैं
विस्त्रत वितान नही हैं.....
गाने को कोई 
खुशी का गान नही हैं
खुले पंख, खुला गगन हो..
चाहे खजाने मे कुछ भी ना हो..
खाने का समान भी ना हो......
मैं (चिड़िया) सब जुटा लूँगी..
खाने को क्या हैं?
कुछ भी खा लूँगी..
मत रोको मुझे ....
मत छेड़ो मुझे ..
बस उड़ने दो...
उड़ने दो..
आज़ादी क्या होती हैं?
आज़ादी से मिलने दो...

    • Rahim Khan aazadi milne se hi khushiya nahi aati
      Saturday at 4:06pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare to kaise ati hain
      Saturday at 4:08pm · 
    • Rahim Khan azaadi milne ke bad agar hum jo chahte hain woh mile tab................
      Saturday at 4:11pm · 
    • Aameen Khan Beautiful one..... I just remembered... "Pinjare ke panchhi rey... tera dard na jaane koy; baahar se tu khamosh rahe par bhitar bhitar roye.
      Saturday at 4:29pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Sahi hain Rahim ji.....but pehle azadi baad me aur kuch
      Saturday at 4:30pm · 
    • Aparna Khare thanks Aameen ji...sach kaha
      Saturday at 4:30pm · 
    • Kiran Arya Hey dost pinjare me kaid panchi ki vyatha darshati ek sunder rachna................
      Saturday at 4:31pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thx kiran
      Saturday at 4:32pm ·  ·  1 person
    • Om Prakash Nautiyal किसी की आजादी छीन लेने से बडा पाप कोई नही है शायद ।सुन्दर पेशकश है !!
      *
      Saturday at 4:56pm ·  ·  1 person
    • Alam Khursheed क्या बात है अपर्णा जी !
      आजकल तो कमाल हो रहे है जी !
      वाह वाह !
      Saturday at 4:56pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare sach kaha Om...Ji apne
      Saturday at 4:56pm · 
    • Aparna Khare thanks Alam ji...sang apka kamaal karta hain...dard ko bhi udel deta hain
      Saturday at 4:57pm ·  ·  1 person
    • Manoj Kumar Bhattoa nice...
      Saturday at 4:57pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks manoj ji
      Saturday at 4:58pm · 
    • Ravindra Shukla 
      दिखने लगा है आज मुझको
      दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ----
      वेदना की बात जब हो
      याद तब आता मुझे
      हार गयी जब मै तो फिर
      उड़ने की छमता ही नहीं
      वो ह्रदय की मधुर ममता
      अब व्याप्त मुझमे नहीं ----
      लोग कहते है मुझे पक्षी
      पर सत्य तो ये भी है
      दामिनी का दमकना
      वायु का फिर ये बहेना
      सांस की आवाज तो मानो
      शून्य में चित्कार है.---
      व्योम के नीचे--पड़ी हुई मै
      आज एक निश्वास हूँ----------
      दिखने लगा है आज मुझको
      दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ---
      दर्प तेरा -ओ- मनुष्य ---!!!!!!!
      ..
      Saturday at 5:42pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thanks....
      Saturday at 5:42pm · 
    • Maya Mrig हर चिड़िया की यही कहानी है ----
      Saturday at 6:23pm ·  ·  1 person
    • Naresh Matia azaadi ke matlab samjhati...ek achchi rachna.....
      अच्छा खाना मिलता हैं..
      पीने को पानी मिलता हैं
      राजा, दरबारी
      सब प्यार करते हैं......par fir bhi...mere pankh kat rakhe hai...jo mai chaheti hun...wo mujhe karne ki ijajat nahi...to kaisi ajaadi...kahe ki ajaadi...
      Saturday at 6:41pm ·  ·  2 people
    • Parveen Kathuria मत रोको मुझे ....
      मत छेड़ो मुझे ..
      बस उड़ने दो...
      उड़ने दो..
      आज़ादी क्या होती हैं?
      आज़ादी से मिलने दो......azadi kya hoti hai....bahut badhia tareeke se aapne bataya....Aparna Khare ji.....shukriya
      Saturday at 10:42pm ·  ·  2 people
    • Chitra Rathore Aparna Ji........bahut achchey.....kaid ki chchatpataahat ko.....darshaati.....aur aazaadi key vistaar ko.....maaptee rachana...
      Saturday at 10:48pm ·  ·  2 people
    • Meenu Kathuria पंख हैं, प्यार हैं, सुख हैं,
      सारा सुविधा का सामान हैं
      किंतु खुला आसमान नही है..........सही कहा .......हर सुख सुविधा के साथ साथ आज़ादी भी जरूरी है ........एक कैदी की जिंदगी नहीं ...........बहुत खूब
      Saturday at 11:04pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare sach kaha apne Maya sir.......chidiya ban chatpatana pdega....mile sath koi aisa....ki door us paar jaye.....
      Yesterday at 12:16am · 
    • Aparna Khare thanks Naresh Matia ji..kaid to kaid hain chidiya ho ya insaan...dard barabar hain
      Yesterday at 12:17am · 
    • Aparna Khare Thanks Parveen ji.....pasand karne ka shukriya
      Yesterday at 12:18am · 
    • Aparna Khare thanks Chitra ji...........azadi ki keemat bahut jyada hoti hain
      Yesterday at 12:19am · 
    • Aparna Khare Thanks Meenu Kathuria bhabhi
      Yesterday at 12:19am · 
    • Niranjana K Thakur bahaut khubsurat !
      Yesterday at 10:37am ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Niranjana ji
      Yesterday at 11:36am · 

1 Comments:

At July 16, 2011 at 1:43 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

मै उड़ना चाहती हूँ सच में हमेशा मेरा मन करता है की उड़ कर कही दूर निकल जाऊ, आकाश की ऊँचाइयों को छु लू , बादलों के बीच जाकर देखू क्या है इनमे जो ये उड़ते फिरते है.. देखू तो सही ये हवा आती कहा से है, और जिस भगवन के लिए हम लड़ते है उसका घर भी तो कहते है न ऊपर ही कही है उसको भगवन को भी मिलकर आती … हाँ हाँ जानती हूँ की इस बारे में साइंस अपने सिद्वांत दे देगी मगर मुझे सिद्वांत नहीं चहिये… मुझे तो खुद इन्हें महसूस करना है … उड़ना है बहतु दूर तक….. आप मेरी इस उडान को अब नारी की तरक्की से मत जोडियेगा … कोई कितनी भी तरक्की कर ले रहेगा तो जमीन पर ही न …… असमान तो छु न पायेगा .. तारों के बीच जाकर टिमटिमा तो न पायेगा ……. काश कोई मुझे अपने पंख दे दे ताकि मै इन सब अहसासों को महसूस कर सकू .. जी सकू जिन्दगी का सबसे खुबसूरत पल… मुझे लगता है की हर नारी जीवन में एक बार जरुर उड़ना चाहती है … आखिर चिड़ियाँ और गुड़ियाँ एक जैसी तो होती है … मामी यु भी तो कहती है की तुम मेरी चिड़िया… मगर काश की इस चिड़िया के भी पंख होते ……..जब मेरा दिल करता मै फुर फुर उड़ कर कभी एक पेड़ की डाली पर बैठती और कभी दूसरी पर … जब मन उदास होता तो एक लम्बी उडान पर निकल जाती…हवा के साथ साथ बहती और रात को चाँद जिसे में रोज़ धरती से देखती हूँ उसके पास जाती और पूछती क्यों चाँद इतना सुन्दर होते हुए भी तू अकेला सा क्यों दीखता है ? क्या तेरा दिल नहीं करता धरती पे आने का ?मगर में जानती हूँ वह कहेगा नहीं धरती पे आने से अच्छा में गायब ही हो जाऊ .. अगर मै उड़ पाती तो मामी को भी चिंता न होती की मेरी बेटी कहाँ गयी कब आयेगी .. मेरे जीवन में मेरे सबसे अच्छे दोस्त होते ये पंछी जिनके साथ दिन भर रहती अपने सुख-दुःख कहती और उनके सुनती… काश की मै उड़ सकती … मेरा मन उड़ना चाहता है .. मगर जानती हूँ कोई मुझे पंख न देगा, कोई उड़ने भी न देगा… शायद जीवन में आकर एक बार ही उड़ना संभव होता है इस जिस्म को छोड़कर.. जब रूह दूर तक उड़ जाती है हर असमान को पार करती हुई…… इंसान होना भी कितनी बड़ी मज़बूरी है…… चलिए कभी तो ये सपना पूरा होगा की इंसान होते हुए भी उड़ सकू .. कहते है न की उम्मीद पे दुनिया कायम है ……….. मगर अगर आप का भी उड़ने का मन करते है या आपको पता है की कैसे उड़ा जाता है जरुर बताइयेगा

 

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