Thursday, July 7, 2011

सुख अनंत

तुम्हारी चेतना
ढूँढ रही हैं
शांति को
शांति 
जंगलो मे नही
मॅन मे हुआ 
करती हैं
वरना भीतर की 
वेदना
तो आंतेर को 
चीर देती हैं
सोई चेतना
से कब किसी ने
कुछ पाया हैं
चेतना जो जागी
तो भी 
पीड़ा ही पीड़ा का
कहीं दूर तक
साया हैं....
इच्छा अनंत
आशा अनंत
कैसे पाए कोई
सुख अनंत

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