Tuesday, July 5, 2011

डाकिया



डाकिया ना हो गाव मे
तो क्या होता हैं
सभी सुख दुख का
एक वोही तो
प्रदेता हैं
ना हो वो तो
कौन पढ़ के सुनाएगा
गम और खुशी को
कौन बाँट पाएगा
डाकिया डाक नही
खुशिया लाता हैं
बूढ़े माँ बाप को
बच्चो की खबर सुनाता हैं
कम मत आंको
डाकिये की ड्यूटी को
वो तो प्यार को प्यार
से मिलाता हैं...


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