बारिश का मौसम
काली घनघोर घटाए
तुम्हारा साथ
सड़को पे
पैदल घूमना
बिज़ली का
कडकना
रह रह कर
बूँदो का बरसना
वो हल्का सा धुधल्का
चाय से उठता धुआँ
पानी मे भीगना
आज भी सिहरन
सी दे जाता हैं
सच मे
बारिश का मौसम
आज भी बहुत
याद आता है
तुम थे तो बारिश भी
अच्छी लगती थी..
रिम झिम की फुहार
अंदर तक
छुआ करती थी
आज सब कुछ,
वैसा ही हैं
पर तुम नही हो..
तन्हाई हैं
जिसने हर पल
तेरी याद दिलाई हैं
वो अनकहे पल
आज भी
कुछ कहते हैं
शायद अब भी
कोई मेरे दिल मे
रहता हैं
वो कोई नही
तुम हो, तुम हो
2 Comments:
lajawaab kar diya aapne aparna ji...........
shukriya Thakur Bhai
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