Monday, July 4, 2011

बारिश का मौसम




काली घनघोर घटाए
तुम्हारा साथ
सड़को पे 
पैदल घूमना
बिज़ली का 
कडकना
रह रह कर
बूँदो का बरसना
वो हल्का सा धुधल्का
चाय से उठता धुआँ
पानी मे भीगना
आज भी सिहरन 
सी दे जाता हैं
सच मे 
बारिश का मौसम
आज भी बहुत 
याद आता है
तुम थे तो बारिश भी 
अच्छी लगती थी..
रिम झिम की फुहार 
अंदर तक 
छुआ करती थी
आज सब कुछ,
वैसा ही हैं
पर तुम नही हो..
तन्हाई हैं
जिसने हर पल
तेरी याद दिलाई हैं
वो अनकहे पल
आज भी 
कुछ कहते हैं
शायद अब भी 
कोई मेरे दिल मे 
रहता हैं
वो कोई नही 
तुम हो, तुम हो 

2 Comments:

At July 11, 2012 at 12:03 PM , Blogger संजय एस.कुमार गीते said...

lajawaab kar diya aapne aparna ji...........

 
At July 12, 2012 at 2:06 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Thakur Bhai

 

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