Friday, July 8, 2011

मेरी तन्हाई हैं

आज मेरे साथ
तुम नही केवल
मेरी तन्हाई हैं
दर्द से बाते करने
शायद मेरे संग 
ये आई हैं
तुम थी तो कोई
दर्द ना था
बेदर्द जमाने का कोई 
ख़ौफ़ ना था
एक नशा सा था
मदहोश मैं था
तुम्हारी भीनी खुश्बू, 
खुले केश
होश लिए जाते थे
हम कहाँ 
अपने आप मे
रह पाते थे
आज तुम नही हो
तुम्हारी यादें हैं
तेरे संग जो की थी
वो मुलाक़ाते हैं
वो वादे, इरादे,
हसीन रातें हैं
अफ़सोस
तुम नही हो...
बस यादे, यादे और यादे हैं
तुम्हे भुलाने की...
आज फिर ये कोशिश जारी हैं ...............







4 Comments:

At July 8, 2011 at 3:30 AM , Blogger Ravindra said...

नशा आज फिर कुछ
छाने लगा है
आँखों में फिर कुछ
समाने लगा है
सुंदर प्रस्तुती प्रेम रस में डूबी हुई काविता अपनी सार्थकता को उकेरती है ------शब्द जाल जो सुंदर आवरण से बंधा हुआ ---बहुत खूब--

 
At July 8, 2011 at 3:32 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Ravindra ji....

 
At July 11, 2011 at 2:19 AM , Blogger Rahul Rocky said...

तुम नही हो...
बस यादे, यादे और यादे हैं
तुम्हे भुलाने की...
आज फिर ये कोशिश जारी हैं ...............
waah Aparnaji..... fabulous expressions....

 
At July 11, 2011 at 2:44 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Thanks Rahul ji....

 

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