मेरी तन्हाई हैं
आज मेरे साथ
तुम नही केवल
मेरी तन्हाई हैं
दर्द से बाते करने
शायद मेरे संग
ये आई हैं
तुम थी तो कोई
दर्द ना था
बेदर्द जमाने का कोई
ख़ौफ़ ना था
एक नशा सा था
मदहोश मैं था
तुम्हारी भीनी खुश्बू,
खुले केश
होश लिए जाते थे
हम कहाँ
अपने आप मे
रह पाते थे
आज तुम नही हो
तुम्हारी यादें हैं
तेरे संग जो की थी
वो मुलाक़ाते हैं
वो वादे, इरादे,
हसीन रातें हैं
अफ़सोस
तुम नही हो...
बस यादे, यादे और यादे हैं
तुम्हे भुलाने की...
आज फिर ये कोशिश जारी हैं ...............
4 Comments:
नशा आज फिर कुछ
छाने लगा है
आँखों में फिर कुछ
समाने लगा है
सुंदर प्रस्तुती प्रेम रस में डूबी हुई काविता अपनी सार्थकता को उकेरती है ------शब्द जाल जो सुंदर आवरण से बंधा हुआ ---बहुत खूब--
thanks Ravindra ji....
तुम नही हो...
बस यादे, यादे और यादे हैं
तुम्हे भुलाने की...
आज फिर ये कोशिश जारी हैं ...............
waah Aparnaji..... fabulous expressions....
Thanks Rahul ji....
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