Wednesday, August 24, 2011

कठपुतली का खेल अच्छा ?


कठपुतली का खेल अच्छा ?
नाचने वाला अच्छा ?
या नचाने वाला अच्छा ?
नाचने का अहंकार कैसा?
ये भूल कैसी, ये गुरूर कैसा?
गुरूर मे हमसे सब भूल जाता हैं
जिसने हमे भेजा वो भी हमसे 
पीछे छूट जाता हैं.........
करते हैं मनमानी, सीना फूल जाता हैं
लगाता हैं कस के जब वो ठोकर,
तब मानुष जाग जाता हैं........
अदा हैं निराली उसकी, 
वो तो, यू ही, हमे जगाता हैं
डोरी रखता हैं सबकी हाथ अपने
धीरे धीरे  उसे घुमाता हैं.....
कर देता हैं अहंकारी को बेबस
तब जाकर चैन पता हैं
क्यूँ ना ऐसा काम करे
उसके डोरी खीचने के पहले ही
अपना जीवन उसके नाम करे
गुरूर को रखे उसके चरनो मे
और अर्जुन की तरह 
पैरो पे पैर चढ़ा कर
हम सिर्फ़ और सिर्फ़ आराम करे......





    • Upasna Siag गुरूर मे हमसे सब भूल जाता हैं
      जिसने हमे भेजा वो भी हमसे
      पीछे छूट जाता हैं.........................
      August 25 at 11:42am ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Upasana ji
      August 25 at 11:43am · 
    • Rajiv Jayaswal Pride hath a fall.
      nice poem Aparna ji.
      August 25 at 12:09pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Thanks Rajeev ji
      August 25 at 12:10pm · 
    • Nazeer Malik ham naachne ko taiyaar rahte hain. bas nachaanewaala chahiye
      August 25 at 12:49pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Malik saheb thanks but nacha to hame raha hi hain allah...hame dikh nahi raha hain
      August 25 at 12:51pm · 
    • Om Prakash Nautiyal ‎*
      "..उसके डोरी खीचने के पहले ही
      अपना जीवन उसके नाम करे.."
      bahut sundar !!!
      August 25 at 2:48pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Om prakash ji
      August 25 at 2:48pm · 
    • Deepa Kapoor thot provoking..!
      August 25 at 2:51pm ·  ·  1 person
    • Kamal Kumar Nagal bahut accha likha ..jeevan he kathputali he...dor bhagwan ke hath he...
      August 25 at 2:52pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Deepa ji
      August 25 at 2:54pm · 
    • Aparna Khare thanks Kamal Kumar Nagal ji
      August 25 at 2:54pm ·  ·  1 person
    • Niranjana K Thakur bahut khoobsurat !
      August 25 at 3:22pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Niranjana ji
      August 25 at 3:23pm ·  ·  1 person
    • Rajani Bhardwaj कठपुतली का खेल अच्छा ?...............sach h aparna, jeevan aisa hi h pr kanha koi samjh pata h ese..............shukriya dost............. achchha likha h
      August 25 at 5:30pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thanks Rajni ji...apne dost kaha bahut achha laga
      August 25 at 5:30pm · 
    • Shambhu Nath Pandey aapki har lekh hi achchha hota hai , nice .............
      August 25 at 6:19pm ·  ·  2 people
    • Naresh Matia उसके डोरी खीचने के पहले ही
      अपना जीवन उसके नाम करे
      गुरूर को रखे उसके चरनो मे
      और अर्जुन की तरह
      पैरो पे पैर चढ़ा कर
      हम सिर्फ़ और सिर्फ़ आराम करे.......bahut badhiya kahaa...par araam karne se kuchh nahi hoga.....balki....usko paane ki disha mei hi kuchh kaam karna hoga....
      August 25 at 8:52pm ·  ·  3 people
    • Chitra Rathore ‎...Geeta ki saar tarah...raastaa deekhaatee hui rachna Aparna ji...
      August 25 at 9:16pm ·  ·  3 people
    • Jogendra Singh जोगेंद्र सिंह ▬● कैसी है रे तू कठपुतली...... ?
      तेरे नाच से सारा जीवन नाचे है.....






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