लफ्ज
लफ़जो का खोना
यानी अपने आप मे
ना होना........
जब लफ़्ज हवा मे घुल जाते हैं
तो वो तुम्हारे और
करीब आ जाते हैं और
इतने करीब की गुज़रते हुए
सिहरन सी दे जाते हैं...
माना अभिव्यक्ति के लिए
शब्दो की ज़रूरत होती हैं
लेकिन क्या मौन अभिव्यक्ति
नही होती हैं????
होती हैं....मेरे दोस्त ये भी होती हैं
हाँ ये सच हैं कि..............
हवाओ के रुख़ के साथ
शब्द भी मुड़ जाया करते हैं
कभी कभी तो उन शब्दो के
मायने भी उलट जाया करते हैं
ऐसे मे काम करता हैं
तुम्हारा हम पर किया गया एतबार,
भरोसा या कहो पूर्ण विश्वास
मुझे खुशी हैं बरसो मे
मैने यही कमाया हैं...
अपने संस्कारो मे इन्ही का
समावेश पाया हैं...
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