हम दोनो जो "हर्फ" थे
हम एक रोज़ मिले
एक "लफ़्ज" बना
और हमने एक "माने" पाए
फिर जाने हम पर क्या गुज़री
और अब यू हैं
तुम एक "हर्फ" हो
एक खाने मे
मैं एक "हर्फ" हूँ
एक खाने मे
बीच मे
कितने "लम्हो" के खाने खाली हैं
फिर से कोई "लफ़्ज" बने
और हम दोनो "एक माने" पाए
ऐसा हो सकता हैं लेकिन
सोचना होगा
इन खाली खानो मे हमको
"क्या" भरना हैं
हर्फ- अक्षर
लफ़्ज - शब्द
माने - अर्थ
View Full Note · ·
हम एक रोज़ मिले
एक "लफ़्ज" बना
और हमने एक "माने" पाए
फिर जाने हम पर क्या गुज़री
और अब यू हैं
तुम एक "हर्फ" हो
एक खाने मे
मैं एक "हर्फ" हूँ
एक खाने मे
बीच मे
कितने "लम्हो" के खाने खाली हैं
फिर से कोई "लफ़्ज" बने
और हम दोनो "एक माने" पाए
ऐसा हो सकता हैं लेकिन
सोचना होगा
इन खाली खानो मे हमको
"क्या" भरना हैं
हर्फ- अक्षर
लफ़्ज - शब्द
माने - अर्थ
View Full Note · ·
- Kiran Arya फिर से कोई "लफ़्ज" बने
और हम दोनो "एक माने" पाए
ऐसा हो सकता हैं लेकिन
सोचना होगा
इन खाली खानो मे हमको
"क्या" भरना हैं...............bahut hi khoobsurat bhav mitr............October 31 at 12:53pm · · 3 - Kiran Arya Ha dost abhi kuch din chhuti par hu, to abhi free thi to socha tum sabhi mitro sang kuch guftgu ho jaaye............October 31 at 12:57pm · · 1
- Kiran Arya are yaar bas kuch khas nai hai mera ek exam hai usi ki taiyari ke liye kuch din ki chhuti li hai office se...............:))October 31 at 1:08pm · · 1
- Ravindra Shukla लफ्ज
******************
जब लफ्ज खो जाते है
हम समझ जाते है ---
हवा का वेग बन कर तुम
गुजरते हुए सिहरन सी
दे जाते हो ----
और मै निर्विकार ---निरुत्तर
सहम सा जाता हूँ -------
मुझे पता है ----हवाओं का
कोई रुख नहीं होता
वो दिशाओं में व्याप्त है
मेरे संस्कारों में कही
आगाज है -----
निरंतर --फिर निरंतर
वास्तविकता के धरातल पर
वही- कही ---
हम अभिव्यक्ति के लिए
लफ्ज खो जाते है --------?
.October 31 at 1:12pm · · 2 - Aparna Khare लफ़जो का खोना
यानी अपने आप मे
ना होना........
जब लफ़्ज हवा मे घुल जाते हैं
तो वो तुम्हारे और
करीब आ जाते हैं और
इतने करीब की गुज़रते हुए
सिहरन सी दे जाते हैं...
माना अभिव्यक्ति के लिए
शब्दो की ज़रूरत होती हैं
लेकिन क्या मौन अभिव्यक्ति
नही होती हैं????
होती हैं....मेरे दोस्त ये भी होती हैं
हाँ ये सच हैं कि..............
हवाओ के रुख़ के साथ
शब्द भी मुड़ जाया करते हैं
कभी कभी तो उन शब्दो के
मायने भी उलट जाया करते हैं
ऐसे मे काम करता हैं
तुम्हारा हम पर किया गया एतबार,
भरोसा या कहो पूर्ण विश्वास
मुझे खुशी हैं बरसो मे
मैने यही कमाया हैं...
अपने संस्कारो मे इन्ही का
समावेश पाया हैं...October 31 at 1:13pm · · 2 - Ravindra Shukla अपने संस्कारो मे इन्ही का
समावेश पाया हैं..bahut khub ---aparnaa ---sahmat hoon -October 31 at 1:14pm · · 1 - Ramesh Sharma और अब यू हैं
तुम एक "हर्फ" हो
एक खाने मे
मैं एक "हर्फ" हूँ
एक खाने मे
बीच मे
कितने "लम्हो" के खाने खाली हैं.....ahaaaaaaaaaaaOctober 31 at 1:15pm · · 1 - Ravindra Shukla शब्द
************************
और मेरे शब्द टूट जाते है
जब भी सच बोलता हूँ ---
तुम गर्म मर्म की बात करते हो
संवेदनाओं को उड़ाते हो
नये आयामों की बात करते हो
ये सच है वही मेरे शब्द फिर
टूट कर बिखर जाते है ----
टूट -टूट जाते है ----?.October 31 at 1:19pm · · 2 - Vishaal Charchchit बहुत गहरी बात कही है................अपर्णा जी दिल से बधाई !!!!October 31 at 1:23pm · · 1
- Aparna Khare तुम्हारी निगाहो मे अजब सी
रोशनी हैं.....
तुम्हारी बातो मे अजब सी सरगोशी हैं
मैं कोई सपनो की बात
नही कर रही बल्कि ये हक़ीकत हैं
साहस है तुम्हारे भीतर सही को सही
और गलत को गलत कहने का ।
बेकार हो चुकी सड़ी -गली और पक्षपाती
रूढ़ियों एवं परम्पराओं को
तोड़ने का ।
अत्याचार -अन्याय के खिलाफ
खड़े होने का ....................
दुनिया से लड़ने का..............October 31 at 1:25pm · · 3 - Ravindra Shukla चाहत
*********************
चाहत की जमी में
आरजू थी जिये---
क्या करूं---बेबस
लाचारी की दास्ता
फिर वही --
इतने --------
करीब से गुजर
गया कोई -----?October 31 at 1:27pm · · 2 - Manoj Gupta जब लफ़्ज मैँ बन जाता हूँ ,
महफिल मेँ गुनगुनाया जाता हूँ ।
जब तीर मैँ बन जाता हूँ ,
नजरोँ से चलाया जाता हूँ ।
गुलशन से लाया जाता हूँ ,
हार गले का बनाया जाता हूँ ।
जब ताज मैँ बन जाता हूँ ,
सहरा मेँ लगाया जाता हूँ ।
हस्ती है मेरी उस फूल सी ,
जिसका इत्र बनाया जाता हूँ ।October 31 at 1:28pm · · 2 - Aparna Khare गर्म रेगिस्तान मे
आज फिर चाहत
ने सर उठाया है
कही -----
गर्म जमीं भी है
गर्म आसमा ----
झुलसे हुए
बदन भी है तो
थिरकते तन भी -----
रिमझिम बारिश
के बीच कही ----
घरोंधो की सोंधी
छाव तले---
जीने की कोशिश
के मध्य कही ----
चाहत ने
फिर आज
यही ----
सर उढ़ाया
है अभी -------?October 31 at 1:29pm · · 2 - Rajani Bhardwaj फिर से कोई "लफ़्ज" बने
और हम दोनो "एक माने" पाए...............pyar w vishwasOctober 31 at 7:42pm · · 1 - Naresh Matia uddeshya achcha hain..rishto ko ek naam dene ka...aur use barkaraar rakhne ka...par rachna kahi uljh gayi hain....kyoki....do insaano aur lamho ko alag-2 khano mei daal diyapar lamhe kabhi insaano se alag nahi hote...lamhe to aate hain gujar jaate hain...kabhi meetha ahsaas de jaate hain to kahi udaasi...agar kuchh bhi nahi to aapki umar ko ek lamha hi badaa denge.....isliye lamhe kabhi khali nahi hote....haa.lamho ka istemaal ..sabki apni soch per nirbhar karta hain....November 1 at 12:14am · · 2
- Parveen Kathuria इन खाली खानो मे हमको
"क्या" भरना हैं
हर्फ- अक्षर
लफ़्ज - शब्द
माने - अर्थ...bahut hi arthpuran rachna pesh ki hai aapn saath mein sunder pic bhi...congratulation apanrna ji...for this beautiful creatiions..November 1 at 12:22am · · 2 - Meenu Kathuria फिर से कोई "लफ़्ज" बने
और हम दोनो "एक माने" पाए..........ताकि इन खाली खाने लम्हों को भर पायें......November 1 at 12:36am · · 3 - Poonam Matia duriyon aur tanhaaiyon ko byan karti rachna .............aur ek chah milan ki jo adhuri hai ...........November 1 at 3:09am · · 3
- Ashvani Sharma हरूफ खो गए लफ़्ज़ों ने साथ छोड़ा है / जिंदगी रोज बदलती है मायने अपने .........अश्वनीNovember 1 at 8:10am · · 1
- Chitra Rathore ..Aparna Ji...meaningful lines...and vryyy tru too...
Aao ek ho jaayen...nayaa shabd ban...so chuke ehsaas jagaayen...//November 1 at 9:56pm · · 2 - Aparna Khare thanks Poonam ji....milan agar poora ho gaya to jeene ki chah hi na bachegiNovember 2 at 1:12pm ·
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home