Wednesday, November 16, 2011


मेरे भीतर एक कुआं है, 
रहता हैं उसमे में कोई 
वर्ना मुझमे इतनी तन्हाई है, 
कैसे मुझसे बोले कोई .....................................
बाते खुद से करता हूँ
अपने आप मे जीता हूँ
सारे दुख पी लेता हूँ
नही दिखाता अपने गम को
गम मे ही खुश रहता हूँ.....................................
जो रहता हैं मेरे भीतर
वो बिल्कुल तेरे जैसा है
हंसता हैं,  बाते करता हैं 
दुनिया को खुश करता हैं
लेकर गम औरो के खुद मे 
खुशियाँ भरता हैं...........

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