चंदन का काम हैं महकना
ना की जलना.......
वो तो सिर्फ़ खुश्बू फैलाता हैं
जब वो आता हैं....
सारी खुश्बू का रंग उसके आगे
फीका पड़ जाता हैं
हर तरफ वो ही वो नज़र आता हैं
मंदिर मे तो नही सुलगता वो
हां किसी की चिता की शोभा
ज़रूर बन जाता हैं
तुम बने हो चंदन तो महको
सिर्फ़ महको.....
मत करो चिंता खुद के जलने की...
जलकर भी किसी के काम आना हैं..
अस्तित्व बचाकर कहाँ ले जाना हैं?
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