वहां कोई नहीं रहता इस नाम का...जिस पते से उम्र भर खत आते रहे जिऩ्दगी के...
नकार दिया तुमने सिरे से
ये क्या बात हुई.............
नही रहता कोई तो खत कैसे लिखता
नही होता तो अपने होने का
एहसास कैसे देता..............
तुमने शायद ठीक से नही देखा..
जिंदगी के खत, जिंदगी के नाम थे
और उसकी जिंदगी .....तुम..... थे........
तुम्हारे साथ होने का एहसास ....थे
वो अब भी वही रहता हैं.........
जो कभी तेरे दिल मे, बसता था
आज खतो की तरह ......दूर निकल आया हैं
नही मिलेगा .....खत को पढ़ने वाला
अब उसकी समझ मे आया हैं
तो क्या हुआ...कभी तो खत
असली हाथो मे जाएगा.......
उसे भी तेरा .....सच...प्यार या जो भी हो
तुमने जो भी नाम दिया हो...... समझ आ जाएगा
Ramesh Sharma अब उसकी समझ मे आया हैं
तो क्या हुआ...कभी तो खत
असली हाथो मे जाएगा.......
उसे भी तेरा .....सच...प्यार या जो भी हो
तुमने जो भी नाम दिया हो...... समझ आ जाएगा..ahaaaaaaaaaa
December 27 at 1:23pm · · 1
Gurvinder Kaur ik hi khat mei us ne kya kya likh diya,,,,kahin zindagi tou kahi mout ka pta likh diya,,,,,,,,,,,,,,
December 27 at 1:53pm · · 1
Rahim Khan wah wah kya baat hain aap ke vichaaro ki mjitni tarif ki jaye kam hain.........................................वहां कोई नहीं रहता इस नाम का...जिस पते से उम्र भर खत आते रहे जिऩ्दगी के..
December 27 at 1:55pm · · 1
मै क्योँ ना रहूँ मुश्किल मेँ ?
एक पंछी फड़फड़ाया मेरे दिल मेँ
भाया पर पास ना आया
मै कहाँ तड़पा हूँ ?
तड़पे है तू
... ये पिँजरा रास ना आया
December 27 at 3:10pm · · 1
Rahul Tandon Uga hai ghar meiN har-su sabza, virani tamash kar
Madar, ab khodne par ghas ke, hai mere darbaN ka
View desolateness of my house, weeds have grown
Now, my watchmen’s (new) job is to kick out sneaking weeds
ghalib
December 27 at 4:11pm · · 1
Rahul Tandon Ug raha hai dar-o- dewar pe sabja ghalib
hum bayaba mein hain aur ghar mein bahar aaee hai...ghalib again
December 27 at 4:15pm · · 1
Aparna Khare waah ..बूए-गुल, nala नाla ए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला ।
चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,
बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला ।
December 27 at 4:21pm · · 1
Rahul Tandon ha ha..have read this one earlier...chalo andaz yatharth se shaayrana hua...
December 27 at 4:24pm ·
Aparna Khare really...बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्नए-तक़रीर भी था ।
पकड़े जाते हैं फरिश्तों के लिखे पर नाहक़,
आदमी कोई हमारा, दमे-तहरीर भी था ?..galib
December 27 at 4:26pm ·
Manoj Gupta बरसों जवाब-ए\yaar का, देखा किये हम रास्ता
एक दिन वो ख़त वापस मिला और डाकिये ने ये कहा
इस डाक खाने में नहीं, सारे ज़माने में नहीं
कोई सनम इस नाम का कोई गली इस नाम का
कोई शहर इस नाम का
हम ने सनम को ...
December 27 at 4:34pm · · 1
Aparna Khare subah se intezaar tha ab jawab aya hain...lagta hain dakiya khushi ka paigaam laya hain...thanks Manoj ji
December 27 at 4:35pm · · 1
Gopal Krishna Shukla *
तुमने शायद ठीक से नही देखा..
जिंदगी के खत, जिंदगी के नाम थे
और उसकी जिंदगी .....तुम..... थे........
वाह अपर्णा जी.. बहुत सुन्दर रचना... सच मे पढकर मंत्रमुग्ध हो गया..
December 27 at 7:03pm ·
Vishaal Charchchit WAAH TEACHER JI..........MITR KI PANKTIYON KA ACHCHHA JAWAAB !!!!
December 27 at 10:17pm · · 1
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' शव्दों में बड़ी ताकत होती है
बहुत सुन्दर रचना ...........
सुन्दर पंक्तियाँ, भावों का आपना पन यही रचना को प्रभावी बनाते हैं
Wednesday at 1:57pm · · 1
Aparna Khare mujhe bahut khushi ho rahi hain apke comments dekh kar thanks...................alot
Wednesday at 1:58pm · · 1
Chitra Rathore kyaa maaloom...wo khat kab aayegaa...
waqt kaa...bahtaa dariyaa...bhalaa kab tak tham paayegaa...
...nice cmpstn Aparna Khare ji...
Wednesday at 10:36pm · · 1
Aman Parashar To fir add bhej dijiye Madam Ji...Vada raha ..Pyaare Comments ka...:P
Yesterday at 11:51am · · 1
Aman Parashar Lo G ..Pehla Comment aapke Uper..Aap Bahut Pyaari ho G...Thank you hai G...Dil se G...:D
Yesterday at 11:53am · · 1
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