Thursday, December 22, 2011


अच्‍छा है तुम लौट आते हो बार बार.....मैं भी लौट सकता था....जाता तो....


ये हमारा प्यार हैं जो लौटा लाता हैं
वरना मुझे इतना अहम हैं
जो नही करने देता मुझे ये सब
तुम्हारे सच्चे प्यार ने मुझे दी हैं 
जीने की ताक़त, लड़ने का हौसला,
सामना कर सकती हूँ दुनिया का मैं...बिना डरे
अब मुझे किसी से डर नही लगता
अपने आप से भी नही
वरना तो पहले खुद के 
सवालो से ही डर जाया करती थी
नही कर पाती थी सामना 
खुद के सवालो का........
जवाब पता थे फिर भी 
उन जवाबो को स्वीकार 
नही कर पाती थी........
खुद तो उन जवाबो के बीच
ठीक से फिट हुआ नही पाती थी
इसीलिए लौट आती हूँ............
खुद को तुम्हारे साथ..............
बँधा हुआ पाती हूँ..................
तुम मत जाना...वरना कहीं खो गये
तो मैं कहाँ खोज सकूँगी तुम्हे........
इस बेतरह दुनिया की भीड़ में....

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home