कितनी बेभरोसा होती हैं बातें, बदल जाती हैं कभी भी...
कितनी बेभरोसा होती हैं बातें, बदल जाती हैं कभी भी...देखो ना... उस दिन जिस बात पर हम कितना खुश थे...आज उसी बात पर मैं कितना उदास हूं....
तुम्हारी उदासी का सबब बातें नही
पर्दे का मंज़र हैं जो पल मे बदल जाता हैं
नही रहता एक सा दृश्य
कहीं खो जाता हैं.....
उस दिन हम मिले थे
हमारी खुशी का ठिकाना नही था
आज हम जुदा हो रहे हैं
तो हमारी उदासी का ठिकाना नही हैं
दोनो बाते अपनी जगह हैं..मेरे ख़याल से
बाते वोही रहती हैं........बस
मायने बदल जाते हैं.......
चाह कर भी उन बातों मे
खुद को नही टिका पाते हैं...
सामंजस्य नही बिठा पाते हैं............
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