Sunday, February 19, 2012

इन बिगड़े दिमागों में, ख्वाबों के कुछ लच्छे हैं, 
हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।
ऐसा भी कही होता हैं प्यार को कोई ज़लज़ला कहता हैं
ज़लज़ला तो कुछ बचने नही देता..
उसके बाद तो इंसान कही का नही रहता हैं 
ग़ज़ल जब वो सुनते हैं
मेरे संग वो भी रो पड़ते हैं
 लोरी भी सुनाएँगे
साथ मे मिल कर गाएँगे
फिर आप जाना पर्वतो के उस पार
हम अपने घर मे सो जाएँगे 
वक़्त के साथ नई पीढ़ी, सब सीख जाएगी
नही रहेगी वो अल्हड़, सब जान जाएगी
लेकिन हमे सिखाना होगा..उनका ध्यान बटाना होगा
दिल की दिल मे रह जाती हैं
वो करीब आ कर चली जाती हैं
  
ऐसा भी कही होता हैं प्यार को कोई ज़लज़ला कहता हैं
ज़लज़ला तो कुछ बचने नही देता..उसके बाद तो इंसान कही का नही रहता हैं
ग़ज़ल जब वो सुनते हैं
मेरे संग वो भी रो पड़ते हैं
कैसे बताए तुम्हे
वो अब भी हम पे मरते हैं
 

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