बीत गई हैं होली सावरे
बीत गई हैं होली सावरे,
अब भी तुम हो आए ना
रीत रही हैं जिंदगी बावरे,
आख़िर तुम हो गये कहाँ?
क्या कभी तुमने सोचा हैं
जो तुमने पीछे छोड़ा हैं
वो सच मे तुमसे छूटा हैं..
वो लम्हे वो बाते...
उनसे तुमने छुटकारा पाया हैं...
दे गये जो दर्द
या ले गये हो उन्हे अपने संग...............
साथ मे डेरा जमाया हैं..
कुछ तो बोलो...मुख तो खोलो
अपना पता दो..कुछ तो बता दो..
उत्तर की अभिलाषी हूँ...
नही रह सकती तेरे बिन अब
मिलने को हरदम व्याकुल हूँ......
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