Thursday, May 3, 2012

हुस्न वाले डरते नही हैं ............बंद आँखो से प्यार महसूस करते हैं...

मोहब्बत मे इल्ज़ाम तो उसपे भी आया जिसने दुनिया बनाई..तो तूने क्यूँ अपनी गर्दन बचाई

कहती हैं झाँकती आँखे तुमसे
रुक जाओ कहीं मत जाना
अभी मत जाना, कभी मत जाना


काले चश्मे पे ना जाए
अपनी अकल लगाए
चश्मे के पीछे छिपी आँखो मे
कई गहरे राज़ है....
जो अभी खुलने बाकी हैं....


घड़े मे पानी था भीग गया समूचा आकाश....
तभी आज धरती पे बारिश आई

उन आँसू मे भी प्यार था तभी तो टपक पड़े तुम्हे देखते ही....जैसे कोई अपना खड़ा हो सामने बरसो बाद...
बादल की क्या बिसात
जो डाल दे दरार
दोनो का प्रेम अमर हैं
कोई नही रोक सकता
उनके प्यार की बरसात
गवाह हैं उनके प्यार ही
हर उजली हो या काली रात

पुल टूट कर कहाँ जाएगा
नदी मे ही तो आएगा
इसलिए मैं खुश हूँ
मिलन का वक़्त करीब जो हैं..

नही थे लफ़्ज तभी तो सबसे प्यार कर पाए
होते जो दुनिया के ग्रामर, सब होते पराए
कोई होता अपना, कोई पराया
ना आती अकल कभी खुद को
अम्मा अब्बू ने जो समझाया
उसी पे चलते...गिरते पड़ते बढ़ते
सारा खेल  तो अल्फाजो का हैं...खामोशी तो बेचारी अब भी खामोश हैं

चाँद को लगा कर गले....अपना हाल सुना देना

सीढ़ी की क्या ज़रूरत चाँद को जमी पे बुला लेना
यही तो मक़सद हैं चाँद का, होश खो जाए

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