छा गया सन्नाटा अम्मा के जाते ही..
समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो गया
जो बुढ़िया मरने से पहले सब पे बोझ थी
अचानक सब की प्यारी हो गई
आज अम्मा की तपस्या सब को याद आ रही थी
वो बर्तन माँज कर बच्चे को लायक बनाना
सबको अम्मा का समर्पण आज ही क्यूँ समझ आ रहा था?
शायद जाने के बाद ही इन्सान की कदर होती हैं
वरना कब दुनिया किसी के लिए रोती हैं...
समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो गया
जो बुढ़िया मरने से पहले सब पे बोझ थी
अचानक सब की प्यारी हो गई
आज अम्मा की तपस्या सब को याद आ रही थी
वो बर्तन माँज कर बच्चे को लायक बनाना
सबको अम्मा का समर्पण आज ही क्यूँ समझ आ रहा था?
शायद जाने के बाद ही इन्सान की कदर होती हैं
वरना कब दुनिया किसी के लिए रोती हैं...
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