चलो कब्र तक खुद चल के जाए
क्यूँ करे इसमे भी आलस,
मन को समझाए..
क्यूँ ले चार कन्धो का सहारा
क्यूँ जाते जाते भी किसी को
तक़लीफ़ दे जाए....
अपनी मर्ज़ी से वहाँ जाएँगे तो
मन चाहा सम्मान भी पाएँगे...
होगी खातिरदारी राजा की तरह
अपने लिए अपने जैसा माहौल बनाए..
चलो कब्र तक खुद चल कर जाए..
अपने लिए लाए खुद चंदन की लकड़ी
खुद ही घी के पीपे रेशमी कफ़न मंगाए..
चलो कब्र तक खुद चल के जाए
क्यूँ करे इसमे भी आलस,
मन को समझाए..
क्यूँ रखे दूसरो का आसरा..उनसे कहो
वो आराम फरमाये....यहाँ तो बसाया ही था
चलो अब वहाँ भी नया घर बसाए......
चलो कब्र तक खुद चल के जाए
क्यूँ करे इसमे भी आलस,
मन को समझाए..
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