कभी शरमाती हो..
कभी इठलाती हो..
काहे बार बार हमे अपना बनाती हो..
जब बन जाते हैं हम तुम्हारे तो....
क्या खूब नखरे दिखाती हो..
रहता हैं दिल हर वक़्त ख़यालो मे तेरे
ख़यालो को पंख तुम ही लगाती हो..
जब ज़रा सा भरता हैं उड़ान दिल हमारा
आसमानो मे..तुम झट से खीच उसे..
झटका लगाती हो..
क्यूँ करती हो ऐसा बार बार
ज़रा ज़रा सी बात पे आजमाती हो..
पूरे करता हूँ वादे सारे फिर भी..रूठ जाती हो..
प्यार किया हैं तुमसे कोई गुनाह नही जालिम
जो तरह तरह से हमे मुर्गा बनाती हो..
ख़यालो को पंख तुम ही लगाती हो..
जब ज़रा सा भरता हैं उड़ान दिल हमारा
आसमानो मे..तुम झट से खीच उसे..
झटका लगाती हो..
क्यूँ करती हो ऐसा बार बार
ज़रा ज़रा सी बात पे आजमाती हो..
पूरे करता हूँ वादे सारे फिर भी..रूठ जाती हो..
प्यार किया हैं तुमसे कोई गुनाह नही जालिम
जो तरह तरह से हमे मुर्गा बनाती हो..
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