सन्नाटे को तोड़े कौन,
चुप की बाह मरोड़े कौन
कौन आए जीवन मे आगे,
नई राह को जोड़े कौन??????
तुम थे तो जीवन था,
हँसना रोना एक संग था..
...सब को बाँध के रखा था..
अब उस माला को जोड़े कौन...
तिनका तिनका बिखर गया हैं,
मोती मोती दरक गया हैं..
विपदा जो सब पे आन पड़ी हैं,
उस विपदा से उबारे कौन...
सन्नाटे को तोड़े कौन,
चुप की बाँह मरोड़े कौन???????????
4 Comments:
बहुत सुन्दर कविता अपर्णा जी...
सुन्दर भाव...
अनु
shukriya Anu ji...aise hi hausala badhate rahe..khushi hoti hain
bahut sundar likha hai aapne ......
Thanks Upasana di ......
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