Sunday, September 2, 2012



सन्नाटे को तोड़े कौन, 
चुप की बाह मरोड़े कौन
कौन आए जीवन मे आगे, 

नई राह को जोड़े कौन??????
तुम थे तो जीवन था, 

हँसना रोना एक संग था..
...सब को बाँध के रखा था..

अब उस माला को जोड़े कौन...
तिनका तिनका बिखर गया हैं, 

मोती मोती दरक गया हैं..
विपदा जो सब पे आन पड़ी हैं, 

उस विपदा से उबारे कौन...
सन्नाटे को तोड़े कौन, 

चुप की बाँह मरोड़े कौन???????????

4 Comments:

At September 11, 2012 at 8:10 PM , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर कविता अपर्णा जी...
सुन्दर भाव...

अनु

 
At September 20, 2012 at 9:45 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Anu ji...aise hi hausala badhate rahe..khushi hoti hain

 
At September 21, 2012 at 2:15 AM , Blogger nayee dunia said...

bahut sundar likha hai aapne ......

 
At September 21, 2012 at 9:40 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

Thanks Upasana di ......

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home