सात फेरे..
थामा जो तुमने हमारा हाथ..
मन में गर्व सा हो आया हैं
जीवन में तुम्हारे जैसा
एक सच्चा साथी..मैंने पाया हैं..
पहला फेरा लिया जो तुमने..
मन में यकीन आया हैं.. ..
नहीं करुगी किसी पे एतबार तुम्हारे सिवा
पहला वचन कुछ इसतरह निभाउंगी
चलूंगी हर दुःख सुख में साथ तुम्हारे
तुम्हारी अर्धांगिनी कहलाऊँगी
दुसरे फेरे में के साथ रात में अकेले कहीं नहीं जाउंगी..
तुमसे पूछे बिना कोई भी कदम नहीं बढ़ाउंगी ..
तीसरे फेरे के साथ....करेंगे हर धर्म का निर्वाह साथ साथ
चाहे वो पूजा हो या पाठ साथ साथ चलेंगे ..
ऐसे अपना साथ निभाएंगे.. ....यु ही सारी जिंदगी निभाएंगे..
चलो अब चलते हैं चौथे फेरे की और..
नहीं करुँगी कोई शुभ काम तुम्हारे बिना..
सारे भगवानो को साथ में रिझाएंगे..
सुनो ......तुम्हारे बिना तो हम मंदिर भी नहीं जायेंगे..
पांचवा वचन पहले वचन जैसा हैं..
तुम्हारे सिवा मुझे और कहीं नहीं रहना हैं..
शक का नहीं रहेगा कोई स्थान
एक दुसरे पे यकीन का पाठ ...
हमें साथ साथ पढना हैं .....
सुनो.. प्रिय ..अब मैं आगे आती हूँ अपने दो फेरे
तुम्हे मेरे पीछे चल कर लेने होंगे..
मानना होगा मेरी सारी बातों
जो की एक दुसरे के हित में होंगी..
नहीं करनी होगी कोई शिकायत..
किसी की ...किसी से..
सबको अपना बनाकर चलना होगा..
चथव फेरा ये कहता हैं ले चलोगे मुझे हर जगह अपने साथ..
नहीं छिपाओगे मुझसे कोई भी बात
चाहे वो कितनी भी भयानक हो..
सातवे फेरे के साथ लोगे हर बात में मुझसे सलाह
चाहे वो जिंदगी में कितनी भी निर्णायक हो..
तुम्हारा परिवार होगा हमारा परिवार..
नहीं करेंगे एक दुसरे पे कोई वार..
चाहे हो कोई व्रत या त्यौहार
मिल कर सब साथ मनाएंगे..
इस तरह प्यार की सारी रस्मे निभाएंगे..
लो अब हम मिल कर एक हुए..
उम्र भर के लिए..
मौत के बाद भी न हमारा साथ छूटेगा..
2 Comments:
satve fere ke sath loge har baat me mujhse salaah,
chahe vo jindgi me kitni bhi nirnayak ho.......
bahut ummda khayaal hai aparna ji ise or vistaar deve......!
shukriya Thakur Bhai....
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