Wednesday, October 24, 2012

मेरा कंधा उसका सर..




मेरा कंधा उसका सर..
रोता हैं वो बिलख बिलख कर..
किंतु किसी और के लिए..
कैसे दूँ सांत्वना..कैसे करू खुद सब्र
अब नही सहन होता हैं..मैं भी इंसान हूँ..
मेरा भी दिल जार जार रोता हैं..
चाहत को कैसे उसे बताउ
नही दिखा सकता अपना दिल चीर कर.
कैसे उसे दिखाउ....अब नही होता हैं सब्र

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