हम रोज़ खेलते हैं बैठ कर एक साथ
तुम कहते हो मैं रोज़ जीत जाती हूँ..
मैने तुम्हे जीता हैं, तभी जीत जाती हूँ रोज़
बिना पत्तो से खेले ..जो अभी अभी तुमने बाँटे हैं मेरे आगे..
तुम भी तो हार कर भी खुश हो जाते हो...
चलो बारिश मे एक साथ बालकनी मे बैठे
खेल भी हो जाएगा और बारिश की मस्ती भी..
देखो ना बारिश के बाद सब
कितना चमक जाता हैं ना...
जैसे धुल गई हो धरती, नदी, पहाड़, जंगल
तभी तो मुझे बारिश बहुत भाती हैं..
और बारिश के साथ तुम भी..
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home