मैं हार गई
तुम कुछ भी करो मुझे मंज़ूर हैं
जाना अब कभी नही तुमसे दूर हैं
अगर हुई मुझसे कोई भूल तो कहो ना..
लेकिन यू रूठ कर हमे रहो ना..
हमे अच्छा नही लगता...
लगता हैं सब खो गया हैं हमारा
कुछ भी नही बचा
खाली हाथ हैं हमारा
बता दोगे तो अब नही भूल को
दोहराएँगे..जो होगा तुम्हे पसंद..
वही कर जाएँगे....
लेकिन तुम यू ना मुह फेरना...
ना हमको जहाँ मे अकेला छोड़ना..
हम नही रह पाएँगे.....................
मरेंगे तो नही.....हा ......मरे ही कहलाएँगे...
कुछ समझ आया क्या तुम्हे...................
3 Comments:
अच्छी लगी आपकी कविता,,,बस ये गीत याद आ गया तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे,,,,,
thanks suman..
nahi ........
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