क्यूँ जिंदगी के बेरंग रंगो मे..
जिंदगी के रंगो मे
अपना रंग तलाश करते हो..
चाँद ....... जो रहा उम्र भर उजला..
उसे भी रंगो से भरने की बात करते हो
कभी होगा क्या ऐसा..सोचा हैं तुमने
भरेगा जब रंग हमारे जैसा..
भूल जाएँगे सब कुछ..गम तकलीफ़...मुसीबत..
जो दिया हमे जिंदगी ने कसैला..
ऐसी कैसी तुम बात करते हो..
चाँद जो..उम्र भर रहा उजला ..उसमे
रंगो की तलाश करते हो..
अब नही रहा विश्वास जिंदगी पे..
नही रही आस कोई अपनी खुशी से..
सब कुछ बेकार करते हो..
क्यूँ जिंदगी के बेरंग रंगो मे..
अपने रंग की तलाश करते हो..
3 Comments:
This comment has been removed by the author.
shaandar,.............uttar
This comment has been removed by the author.
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home