Wednesday, December 12, 2012

Pt. ravi Shanker ji ki yaad me


छेड़ कर रागिनी दिलो मे
कहाँ तुम चल दिए..
हमे अपना बना कर
क्यूँ हाथ छुड़ा कर 
चल दिए..
माना हार गये उम्र से..
लेकिन सजदा करती हैं जिंदगी..
जिसे तुम अपना बनाकर चल दिए
आज और भी बहुमूल्य हो तुम
हम सबके वास्ते..
जो दिखाए तुमने हमे रास्ते..
उन्ही रस्तो पे आज से हम...
तुम्हारे साथ चल diye..



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