बस तुम्हारा प्रेम ही नज़र आता हैं...
अकेले मे बैठकर सोचा करती हूँ तुम्हे
खुद से ही तुम्हारी बातें किया करती हूँ मैं..
सच बहुत अच्छा लगता हैं..तुम्हे सोचना
जब नही होते हो पास तुम...तुम्हे......
अपने भीतर खोजना..
खोजते खोजते तुम हो जाती हूँ...
तुम्हारे ख़याल मे..
नही रह जाता मेरा कोई अस्तित्व..
मेरे अपने वजूद मे..................
तुम भी जब मेरे भीतर
मुस्कुरा कर उतर आते हो..
जब याद आती हैं तुम्हारी बाते
खुद से ही मैं शर्मा जाती हूँ...
लालो लाल हुई जाती हूँ.......
झर उठता हैं तुम्हारा प्रेम......
पतझड़ मे बहार की तरह.......
काटो मे खिला हो..गुलाब इस तरह
मंद मंद मुस्काती हूँ....अपने से बतियाती हूँ..
सोचती हूँ ये कहूँगी..वो कहूँगी....लेकिन..
तुम्हे देखते ही....सब भूल जाती हूँ.....
रह जाता हैं एक मीठा सा एहसास....
जो बरबस तुम्हारी ओर ले जाता हैं..
नही छोड़ता मेरे भीतर कुछ...........
बस तुम्हारा प्रेम ही नज़र आता हैं..
अपने भीतर खोजना..
खोजते खोजते तुम हो जाती हूँ...
तुम्हारे ख़याल मे..
नही रह जाता मेरा कोई अस्तित्व..
मेरे अपने वजूद मे..................
तुम भी जब मेरे भीतर
मुस्कुरा कर उतर आते हो..
जब याद आती हैं तुम्हारी बाते
खुद से ही मैं शर्मा जाती हूँ...
लालो लाल हुई जाती हूँ.......
झर उठता हैं तुम्हारा प्रेम......
पतझड़ मे बहार की तरह.......
काटो मे खिला हो..गुलाब इस तरह
मंद मंद मुस्काती हूँ....अपने से बतियाती हूँ..
सोचती हूँ ये कहूँगी..वो कहूँगी....लेकिन..
तुम्हे देखते ही....सब भूल जाती हूँ.....
रह जाता हैं एक मीठा सा एहसास....
जो बरबस तुम्हारी ओर ले जाता हैं..
नही छोड़ता मेरे भीतर कुछ...........
बस तुम्हारा प्रेम ही नज़र आता हैं..
2 Comments:
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shukriya................
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