समेट ली हैं मैने किर्छिया जो बिखरी तुम्हारे लिए..
समेट ली हैं मैने
किर्छिया जो बिखरी
तुम्हारे लिए..
मस्जिद मे बना के मैखना..खुदा को क्या मौत बुलानी हैं
कहाँ काम चलेगा एक बोतल से..क्या पूरी क्रेट मंगानी हैं..
दिसंबर जब भी लौटा है मेरे खामोश कमरे मे,
मेरे बिस्तर पे बिखरी हुई किताबें भीग जाती हैं ... !
आज फिर क्या कह दिया सूरज से तुमने,
कि इसका मुंह शर्म से अभी तक लाल है।
सब तो कह दिया बिना लाग लपेट के....
क्यूँ कहते हो नही आता मुझे प्यार की बाते करना
इंतेज़ार मे छिपा हैं तुम्हारा प्यार....
तभी तो आता हैं बार बार
किश्ते कहीं लंबी ना हो जाए..जल्द चुका दो..
प्यार का दर्द हैं..इसे मुकाम तक पहुचा दो..
आएगा राम भी..जब आएगा इतमीनान
आराम से ढूंढीए अपना राम....जै श्री राम
आप ने जगाया तो जाग गये हैं आज..
वरना तो थे सोए..बरसो से हम थे जनाब
हम जाग गये तो सपने कौन देखेगा..
कौन हैं ऐसा..जो मेरे खवाब सहेजेगा
फकीर को दुनिया से क्या काम..
वो तो जहाँ जाए वही हैं आराम..
किर्छिया जो बिखरी
तुम्हारे लिए..
मस्जिद मे बना के मैखना..खुदा को क्या मौत बुलानी हैं
कहाँ काम चलेगा एक बोतल से..क्या पूरी क्रेट मंगानी हैं..
दिसंबर जब भी लौटा है मेरे खामोश कमरे मे,
मेरे बिस्तर पे बिखरी हुई किताबें भीग जाती हैं ... !
आज फिर क्या कह दिया सूरज से तुमने,
कि इसका मुंह शर्म से अभी तक लाल है।
सब तो कह दिया बिना लाग लपेट के....
क्यूँ कहते हो नही आता मुझे प्यार की बाते करना
इंतेज़ार मे छिपा हैं तुम्हारा प्यार....
तभी तो आता हैं बार बार
किश्ते कहीं लंबी ना हो जाए..जल्द चुका दो..
प्यार का दर्द हैं..इसे मुकाम तक पहुचा दो..
आएगा राम भी..जब आएगा इतमीनान
आराम से ढूंढीए अपना राम....जै श्री राम
आप ने जगाया तो जाग गये हैं आज..
वरना तो थे सोए..बरसो से हम थे जनाब
हम जाग गये तो सपने कौन देखेगा..
कौन हैं ऐसा..जो मेरे खवाब सहेजेगा
फकीर को दुनिया से क्या काम..
वो तो जहाँ जाए वही हैं आराम..
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