प्रेम के निशा
प्रेम के निशा
कुछ ऐसे ही होते हैं
वक़्त छूट जाता हैं
कहीं पीछे......
ये मज़बूत
पेड़ की तरह......
आँधी, तूफान,
बारिश मे भी
मज़बूती से
डटे रहते हैं..
नही धो पाती इन्हे
समय की बारिश,
वक़्त की कड़क धूप
सूखा नही पाती...
ये रहता हैं ज़िंदा
हमारे जाने के बाद
क्यूंकी कहते हैं.....
मोहब्बते
कभी नही
मरा करती..
अमर हो जाती हैं...
सदा के लिए..
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