Tuesday, January 29, 2013

बीते लम्हात


ठहरे हुए ज़ज्बात, 
बीते लम्हात
ना जाने कब
छोड़ कर 
चले जाते हैं
दे जाते हैं
गहरे जख्म, 
जो उम्र भर 
सालते रहते हैं..
पीड़ा ऐसी की 
जाने का
नाम नही लेती..
दर्द होंठो पे आकर 
रुक जाया करते हैं..
सच 
बीते हुए लम्हात 
हर वक़्त
जाने क्यूँ 
तडपाया करते हैं....


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