Wednesday, February 13, 2013


दुनिया मे खोजना हमे...हो जाए हम जब दूर
अभी तो तेरे पास हैं ...तू फिर भी तू मज़बूर..

मत आओ मेरे पास..जा रहे हैं हम सबसे दूर..
रहना नही हैं अब इस दुनिया मे..सब मिले हैं...जाने को बहुत दूर

भगवान को भी ज़रूरत हैं दरबान की..
जो आए और बताए कौन आया हैं...
इंपॉर्टेंट हैं या यू ही खाली पीली समय 
खराब करने आया हैं...
एजेंट तो यू हैं जैसे..
अच्छा सौदा लाए..ग्राहक को पटए..
ज़्यादा माल दिलवाए..
तभी अच्छा एजेंट कहलाए..

आज़ाद हैं हिन्दुस्तान
आज़ाद हुए तुम
चलो अच्छा हुआ...
अब उड़ सकोगे तुम
दुनिया को देखना अब 
अनुभवी नज़र से..
मत अटकना कहीं
जो दिखे पत्थर से..
छूना आकाश को तुम
ज़रा पास से..
पंछी बनो 
उड़ के चलो
मस्त गगन मे..

टूटे हुए धागे जुड़ भी जाए तो गाँठ रह जाती हैं
ना दिखे वो आँख से फिर भी....हाथ आ जाती हैं...
यही गाँठ टूटने की याद दिलाती हैं...
रिश्ता हो या डोरी...जब टूट जाए तो 
जुड़ना मुश्किल सा होता हैं..

रहिमन सबसे प्रेम किया, फिर भी धोखा खाय
प्रेम करे से सब जन, सर पे हैं चढ़ जाए

आकर ...चले जाना..... उनको आता हैं अच्छे से  सताना..
लेते हैं मज़ा हर बात मे मेरी..कैसा हँसना हसाना
जी का जंजाल हैं प्यार करना....किसी से दिल लगाना...

हो गया हैं प्यार अब क्या करे
करे, मरे,  या जिंदा जले..

हम हुस्न से क्या करेंगे..
प्रेम से ही चिराग जला करते हैं..

मन से दूर जाना नही...भले हो कितने दूर..

जिंदगी जिंदगी कैसे रहे..
जब ये शर्तो पे चले..

होली याद दिलाया तुमने..
पिछला सब याद आया 
याद आ गई पुरानी बाते..
जो कुछ कड़ुवि सी हैं..

तुम चलते रहो..मंज़िल भी मिल जाएगी
ना रहा कारवा साथ तो क्या...मेरी छाया तेरे साथ आएगी..

मैं कोई बुद्धू नही जो हर बात पे अड़ जाउ..
मेरी भी कुछ शान हैं..कैसे ना दिखाउ

चलते हो, छलते हो, हर बात पे मचलते हो..
फिर कहते हो की मैं जिद्दी हूँ..ये क्या अच्छी बात हैं..

मोहब्बत मे वफ़ा जल्दी नही मिलती..
गर मिल जाए एक बार  तो मोहब्बत यू नही तड़पती..

हम काम भी करेंगे 
वेतन भी लेंगे..
नाक मे दम भी करेंगे..
हम नये जमाने के लोग हैं..
अपनी हस्ती पहचानते हैं..

टूट के चाहा ये चाह मे टूट गये
ये तो खेल हैं किस्मत का...
तुम हो कि किस्मत  से ही रूठ गये..

मोहब्बत कोई आसान नही निभाना..
नाको चने चबाने पड़ते हैं...कदम कदम पे..





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