अमलतास के पीले फूलो से
तुम भी क्या गजब करते हो...
अमलतास के पीले फूलो से
सूखा गुलाब महकाते हो..
सच्ची तुम्हारी आदत नही गई
मुझे बहलाने की..
पहली मानसून की पहली बारिश मे ..
मुझे क्यूँ भिगाते हो..
क्यूँ लगते हो इल्ज़ाम भला मुझ पर
हम तो तुम्हे रोज़ सीने से लगाते हैं..
भूल जाते हो क्यूँ तुम हमारा प्यार..
हम रोज़ ही जो तुम पे बरसाते हैं..
तुमने जो आँखे दिखाई
भाग गई बारिश......
यहाँ भी आ गई धूप...
मुह चुरा गई बारिश... अब झेलो गर्मी...
उसकी याद........... किसी नेकी से भी कम नही...
क्यूँ ना करे ये दिल....याद याद याद...उसकी याद..
एक हवा का झोंका आया..कानो मे गुनगुनाया..
तेरी याद मे कुछ मुस्कुराया.. कुछ सोचु इस से पहले ही चलता बना..
1 Comments:
एक हवा का झोंका आया..कानो मे गुनगुनाया..
तेरी याद मे कुछ मुस्कुराया.. कुछ सोचु इस से पहले ही चलता बना..
sundar bhav
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