अब संकल्प लो..नही काटोगे कोई पेड़
ग़लती प्रकती की नही हमारी हैं..
खुद ही पैरो पे हमने मारी कुल्हाड़ी हैं..
जब तक खेलते रहेंगे प्रकती से हम..
वो हमे इसी तरह रूलाती रहेगी..
जो लादा बोझ उसके मन पे तुमने..
उस से वो तुम्हे भी परिचित कराती रहेंगी
मत लादो मन पे कोई पहाड़..
अब संकल्प लो..नही काटोगे कोई पेड़
मन ही मन ये कसम लो..
बोलो कहते हो कसम..आज से..
खुद ही पैरो पे हमने मारी कुल्हाड़ी हैं..
जब तक खेलते रहेंगे प्रकती से हम..
वो हमे इसी तरह रूलाती रहेगी..
जो लादा बोझ उसके मन पे तुमने..
उस से वो तुम्हे भी परिचित कराती रहेंगी
मत लादो मन पे कोई पहाड़..
अब संकल्प लो..नही काटोगे कोई पेड़
मन ही मन ये कसम लो..
बोलो कहते हो कसम..आज से..
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